बैठ कर लिखने लगा था अपनी कहानी मैं जिंदगी हाथ थाम कर बोली…… "पहलें जी लें, फिर लिख लेंगे"
फुटपाथ
चंद सिक्के रखकर मेरी हथेली पर कहा उस लंबी गाड़ी वाले ने "जा खुशियाँ खरीद ले"
बेटियां ऐसी ही होती हैं
गीली मिट्टी सी है हैसियत मेरी जैसा बनाओगे, वैसा बन जाऊँगी प्यारी सी बेटी हूँ आपकी जैसा कहोगे, वैसा कर जाऊँगी "बोझ बनाओगे तो सिर का बोझ बनूँगी, ताज बनाओगे तो सिर का ताज बनूँगी ॥
नन्हीं ख्वाहिशें बडे़ सपने
कुछ दिखाई देता है इन आँखों ? रहने दो, तुम्हें दिखाई नहीं देगा... सपने भर रखें हैं मैने इन आँखों में जिस दिन पूरा करूँगी उस दिन वहाँ दूर खडे़ होकर भीड़ के साथ तालियाँ बजाना तुम ॥